tu hai rab ki raza naat
तू है रब की रज़ा तू है सबसे जुदा,
या सैयदी मुर्शिदी अख़्तर रज़ा
तू है पीर मेरा मैं मुरीद तेरा,
या सैयदी मुर्शिदी अख़्तर रज़ा।
जब जनाज़े को कांधा लगा गया,
आशिकों के दिलो से ये आई सदा
अब कैसे करें दीदार तेरा,
या सैयदी मुर्शिदी अख्तर रज़ा।
दुश्मनो का कलेजा तो जलता रहा,
फख़रे अज़हर हमेशा चमकता रहा
हिंद का तू है नाइबे गौ़सुल वारा,
या सैयदी मुर्शिदी अख़्तर रज़ा।
देखके फख़रे अज़हर का हर फैसला,
बागियों के लिए एक नया ज़लज़ला
अपने नाना (मुफ्ती ए आजमे हिंद) के जैसा ही वार किया,
या सैयद मुर्शिदी अख़्तर रज़ा।
छेड़खानी करेगा जो मसलक से,
नाम लेकर तेरा, धुंड कर हम उसे
चीर डालेंगे शेरे रज़ा की तरह,
या सैयदी मुर्शिदी अख्तर रज़ा।
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