فکر امّت
जानिए मुहम्मद रसूलुल्लाह (सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म) की क्या फ़िक्र है उम्मत के लिए ? पढ़ कर शेयर
मफ़हूम-ए-हदीस:
हज़रत अम्र बिन औफ रज़ि० रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह (सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म) ने इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह कि कसम ! मुझे तुम्हारे बारे में फ़िक्र व फ़ाक़ा का डर नहीं , बल्कि इस बात से डरता हूँ कि दुनिया को तुम पर फैला दिया जाए जिस तरह तुम से पहले लोगों पर दुनिया को फैला दिया गया था ,
फिर तुम भी दुनिया को हासिल करने के लिए एक दूसरे से आगे बढ़ने लगो , जिस तरह तुम से पहले लोग दुनिया को हासिल करने के लिए एक दूसरे से आगे बढ़ते थे , फिर दुनिया तुमको उसी तरह गाफिल कर दे जिस तरह उनको गाफिल कर दिया ।
(बुखारी )
फ़ायदा :
रसूलुल्लाह (सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म) के इर्शाद ”तुम्हारे बारे में फ़िक्र व फ़ाक़ा का डर नहीं ” का मतलब यह है कि तुम पर फ़िक्र व फ़ाक़ा नहीं आएगा या यह मतलब है कि अगर फ़िक्र व फ़ाक़ा की नौबत आई तो उससे तुम्हारे दीन को नुकसान नहीं पहुंचेगा ।
( मुन्तख़ब अहादीस सफा 637 )
मफ़हूम-ए-हदीस:
हज़रत अम्र बिन औफ रज़ि० रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह (सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म) ने इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह कि कसम ! मुझे तुम्हारे बारे में फ़िक्र व फ़ाक़ा का डर नहीं , बल्कि इस बात से डरता हूँ कि दुनिया को तुम पर फैला दिया जाए जिस तरह तुम से पहले लोगों पर दुनिया को फैला दिया गया था ,
फिर तुम भी दुनिया को हासिल करने के लिए एक दूसरे से आगे बढ़ने लगो , जिस तरह तुम से पहले लोग दुनिया को हासिल करने के लिए एक दूसरे से आगे बढ़ते थे , फिर दुनिया तुमको उसी तरह गाफिल कर दे जिस तरह उनको गाफिल कर दिया ।
(बुखारी )
फ़ायदा :
रसूलुल्लाह (सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म) के इर्शाद ”तुम्हारे बारे में फ़िक्र व फ़ाक़ा का डर नहीं ” का मतलब यह है कि तुम पर फ़िक्र व फ़ाक़ा नहीं आएगा या यह मतलब है कि अगर फ़िक्र व फ़ाक़ा की नौबत आई तो उससे तुम्हारे दीन को नुकसान नहीं पहुंचेगा ।
( मुन्तख़ब अहादीस सफा 637 )
Comments
Post a Comment