निकाह के बाद मिसरी व खजूर बाँटना कैसा है!

 ..... *निकाह के बाद मिसरी व खजूर बाँटना बेहतर है! यह रिवाज हुज़ूर ﷺ के जाहिरी जमाने में भी था। हजरत मुहक्कीक शाह अब्दुल हक मुहद्दीस देहलवी रदीअल्लाहु तआला अन्हु नक्ल फरमाते है.....*

        "हुजुर ﷺ ने जब हजरत अली करमल्लाहु वज्हु और फातीमा रदि अल्लाहु तआला अन्हा का निकाह पढाया तो हुजुर ﷺ ने एक तबाक खजुरो का लिया और जमाअते सहाबा पर बिखेर कर लुटाया! इसी बिना पर फुक्हा की एक जमाअत कहती है की मिसरी व बादाम वगैरह का बिखेर कर लुटाना निकाह की ज्याफत मे मुस्तहब है!"

📕 *[ मदारिजुन्नुबुवाह जिल्द २ सफा, नं 1२८,]*
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✍🏻 आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ [रदि अल्लाहु तआला अन्हु]  इरशाद फरमाते है........

 💫 "(निकाह के बाद) छुवारे (खजूर) हदीस शरीफ में लूटने का हुक़्म है और लुटाने में भी कोई हर्ज नही और येह हदीस "दारक़ुत्नी" व "बैहक़ी" व "तहावी" से मरवी है।

📕 *[ अलमलफूज़, जिल्द नं 3, सफा नं 16,]*

मालुम हुआ कि  निकाह के बाद मिसरी व खजूर लुटाना चाहिए यानी लोगों पर  बिखेरे, लेकीन लोगों को भी चाहिए कि वह अपनी जगह पर बैठे रहे और जिस क़दर उनके दामन में गिरे वह उठा ले ज़्यादा हासिल करने के लिए किसी पर न गिर पड़े।

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