सवालाते क़ब्र का बयान
*सवालाते क़ब्र का बयान...*
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*सवाल-* क्या मुन्कर नकीर के सवाल सिर्फ मुसलमान से होते हैं या काफिर और मुशिरक से भी?
*जवाब-* मुसलमान या इस्लाम का दावा करने वाले से मुनाफ़िक से होते हैं काफिर और मुशिरक से क़र्ब के सवाल नहीं किये जाते
*(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 59/फ़तावा हदीसिया सफ़्हा 7)*
*सवाल-* मुन्कर नकीर दोनों मिलकर सवाल करते हैं या एक?
*जवाब-* कुछ लोगों से दोनों और कुछ लोगों से एक ही सवाल करता हैं।
*(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 59)*
*सवाल-* क्या क़ब्र के सवालात के वक़्त रूह पूरे जिस्म मैं लौटाई जाती हैं?
*जवाब-* हक़ीकते हाल तो खुदा जाने अलबत्ता बाज़ यह कहते हैं कि रूह पूरे जिस्म मैं लौटाई जाती हैं बाज़ कहते हैं कि सिर्फ सीने तक दाखिल होती हैं और बाज़ उसके भी मुन्किर हैं वह कहते हैं कि रूह जिस्म और कफ़न के दरमीयान रखी जाती हैं।
*(अलजवाहिरूल मनीफह सफ़्हा 23)*
*सवाल-* क्या सवालाते क़ब्र तमाम मुसलमान मुदो से होते हैं?
*जवाब-* मुस्तसनात छोड़कर तमाम मुसलमान मुर्दो से सवालात होगे यहाँ तक कि कोई आग मे जल जाऐ या पानी मैं डूब जाऐ तो उनसे भी सवालात होगे वहीं वह सवाल और अज़ाब पाऐगा इसी तरह अगर किसी जानवर ने किसी को खा लिया या मछली वग़ैरा निगल गई तो उसके पेट मे ही सवालात होगें और वह वहीं सवाब व अज़ाब के आशना होगा।
*(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 7/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 61से75)*
*सवाल-* वह कौन लोग हैं जिनसे क़ब्र के सवालात नहीं होते हैं?
*जवाब-* हक़ीक का इल्म तो खुदा को मालूम अलबत्ता किताबों से पता चला हैं कि ग्यारह किस्म के लोग सवालाते क़ब्र से महफूज़ रहते हैं,
👉🏻अम्बियाऐ किराम...
👉🏻शुहदाऐ इज़ाम...
👉🏻काफिर से मुक़ाबले के लिये इस्लामी सरहद पर धोड़ा बाँधने वाला...
👉🏻ताऊन की बीमारी में मरने वाला...
👉🏻ज़मानऐ ताऊन में मरने वाला चाहे किसी बीमारी से मर जाऐ...
👉🏻सिदूदीक़ीन...
👉🏻मोमिनीन के बच्चे...
👉🏻जुमे की रात या दिन मे मरने वाला...
👉🏻मरज़े मौत में सरूऐ " कुल हुवल्लाहु अहद " या "कलिमा तय्यब" पढ़ने वाला...
👉🏻हर रात सरूऐ तबारक पढ़ने वाला...
👉🏻रमज़ान शरीफ मैं मरने वाला...
*(दुर्र मुख़्तार व रदृदूल मोहताज जिल्द 1 सफ़्हा 596/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 62से 63)*
सवाल-क्या जिन्नात से भी सवालाते क़ब्र होते हैं?
जवाब- हाँ जिन्नात भी सवालाते क़ब्र और हिसाब व किताब वग़ैरा के मामले मैं इन्सान की तरह हैं।
(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 47)
सवाल- क्या पिछले अम्बियाऐ किराम की उम्मत से भी क़ब्र के सवालात होते थे?
जवाब- नहीं सवालाते क़ब्र इसी उम्मत के साथ ख़ास हैं।
*(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 7/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 59)*
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*सवाल-* क्या मुन्कर नकीर के सवाल सिर्फ मुसलमान से होते हैं या काफिर और मुशिरक से भी?
*जवाब-* मुसलमान या इस्लाम का दावा करने वाले से मुनाफ़िक से होते हैं काफिर और मुशिरक से क़र्ब के सवाल नहीं किये जाते
*(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 59/फ़तावा हदीसिया सफ़्हा 7)*
*सवाल-* मुन्कर नकीर दोनों मिलकर सवाल करते हैं या एक?
*जवाब-* कुछ लोगों से दोनों और कुछ लोगों से एक ही सवाल करता हैं।
*(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 59)*
*सवाल-* क्या क़ब्र के सवालात के वक़्त रूह पूरे जिस्म मैं लौटाई जाती हैं?
*जवाब-* हक़ीकते हाल तो खुदा जाने अलबत्ता बाज़ यह कहते हैं कि रूह पूरे जिस्म मैं लौटाई जाती हैं बाज़ कहते हैं कि सिर्फ सीने तक दाखिल होती हैं और बाज़ उसके भी मुन्किर हैं वह कहते हैं कि रूह जिस्म और कफ़न के दरमीयान रखी जाती हैं।
*(अलजवाहिरूल मनीफह सफ़्हा 23)*
*सवाल-* क्या सवालाते क़ब्र तमाम मुसलमान मुदो से होते हैं?
*जवाब-* मुस्तसनात छोड़कर तमाम मुसलमान मुर्दो से सवालात होगे यहाँ तक कि कोई आग मे जल जाऐ या पानी मैं डूब जाऐ तो उनसे भी सवालात होगे वहीं वह सवाल और अज़ाब पाऐगा इसी तरह अगर किसी जानवर ने किसी को खा लिया या मछली वग़ैरा निगल गई तो उसके पेट मे ही सवालात होगें और वह वहीं सवाब व अज़ाब के आशना होगा।
*(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 7/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 61से75)*
*सवाल-* वह कौन लोग हैं जिनसे क़ब्र के सवालात नहीं होते हैं?
*जवाब-* हक़ीक का इल्म तो खुदा को मालूम अलबत्ता किताबों से पता चला हैं कि ग्यारह किस्म के लोग सवालाते क़ब्र से महफूज़ रहते हैं,
👉🏻अम्बियाऐ किराम...
👉🏻शुहदाऐ इज़ाम...
👉🏻काफिर से मुक़ाबले के लिये इस्लामी सरहद पर धोड़ा बाँधने वाला...
👉🏻ताऊन की बीमारी में मरने वाला...
👉🏻ज़मानऐ ताऊन में मरने वाला चाहे किसी बीमारी से मर जाऐ...
👉🏻सिदूदीक़ीन...
👉🏻मोमिनीन के बच्चे...
👉🏻जुमे की रात या दिन मे मरने वाला...
👉🏻मरज़े मौत में सरूऐ " कुल हुवल्लाहु अहद " या "कलिमा तय्यब" पढ़ने वाला...
👉🏻हर रात सरूऐ तबारक पढ़ने वाला...
👉🏻रमज़ान शरीफ मैं मरने वाला...
*(दुर्र मुख़्तार व रदृदूल मोहताज जिल्द 1 सफ़्हा 596/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 62से 63)*
सवाल-क्या जिन्नात से भी सवालाते क़ब्र होते हैं?
जवाब- हाँ जिन्नात भी सवालाते क़ब्र और हिसाब व किताब वग़ैरा के मामले मैं इन्सान की तरह हैं।
(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 47)
सवाल- क्या पिछले अम्बियाऐ किराम की उम्मत से भी क़ब्र के सवालात होते थे?
जवाब- नहीं सवालाते क़ब्र इसी उम्मत के साथ ख़ास हैं।
*(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 7/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 59)*
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